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Wednesday, January 1, 2014

एक सत्य घटना


घटना कुछ दिनों पूर्व की है आगरा से १० कम दूर एक यातायात जाम लगा हुआ था दोनों और के वाहन फसे हुए थे न इधर के वाहन उधर जा सकते थे और न उधर के वाहन इधर आ सकते थे इस बीच एक दो व्यक्तियों के निकलने के लिए जो जगह बची हुए थी उसमे भी दोपहिया वाहन और साइकिल वाले आकर जाम को अपना समर्थन दे रहे थे यह घटनाक्रम एक घंटे तक चलता रहा हलकी हलकी बारिश भी हो रही थी सब लोग अपनी अपनी गाड़ियों में बैठे हुए अपनी मस्ती में मस्त थे और जाम के हटने का इंतज़ार कर रहे थे उसी बीच उसी जाम में फसे हुए वाहनों में से कुछ लोग निकलकर सडक पर आये और उन १५-२० लोगों ने अपने कर्तव्यों का निर्वाह करते हुए २०-३० मिनट के अन्दर सारा यातायात व्यवस्थित करके आवागमन की स्थिति चालु कर दी उनमे से कुछ लोग ऐसे भी थे जो महँगी गाड़ियों में से उतरकर आये थे ,कुछ लोग दुपहिया वाहन चालक थे तो कुछ लोग साइकिल चालक थे लेकिन सभी का लख्य और ध्येय और इरादा एक ही था के जाम को हटाकर परिवहन की स्थिति को सुचारू रूप से चालू करना उनमे से सायद ही कोई एक दूसरे को जानता था लेकिन वहां पर सब ने एक दूसरे को जाने बिना कंधे से कन्धा मिलाकर काम किया उस जाम में फसे हुए लोगों में से सायद ही किसी ने उन लोगों को धन्यवाद कहा होगा लेकिन उन लोगों ने अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाई बिना किसी की धर्म,जाति का पता किये बगैर सबकी मदद की.
यह घटना ठीक उसी तरह लगाती है जैसे के आजकल इन्टरनेट पर एक विडियो दिखाया जा रहा है जिसमे एक महानगर में बारिश की वजह से एक पेड़ सड़क पर आ गिरता है और फिर सब व्यवस्था ठप हो जाती है वही पर उस जगह का नेता सम्बंधित अधिकारियों को दिशा निर्देश देता है पुलिस वाला अपनी अतिरिक्त आय का जरिया ढूंढ रहा होता है एक नवयुवक जोड़ा प्रेम प्रसंग के वार्तालाप में व्यस्त दिखाई देता है तो कुछ लोग भारत देश और इसकी व्यवस्था को गाली देते हुए दिखाई देते है वही पर से इस भीड़ में से एक १० साल का लड़का आता है और अकेले अपने दम पर उस पेड़ को वहा से हटाने का प्रयास करता है उसके इस साहस को देख दूसरे लड़के भी उसकी मदद करने के लिए आगे आ जाते है और सभी लोग मिलकर वहा से उस पेड़ को उठाने का प्रयास करते है उन बच्चो के उस साहस को देखकर वहा पर निर्जीव से बुत बने हुए लोगों में अचानक जान आ जाती है और सभी लोग उनकी मदद करने के लिए अपना अहंकार,हठ छोड़कर उस पेड़ को आसानी से एक तरफ कर देते है बाद में उस सच्चे नेता उस १० साल के लड़के को सभी लोग सलाम करते हुए दिखाई देते है
यह विडियो ऐसी किसी घटना से प्रभावित था या यह घटना उस विडियो से प्रभावित थी यह अलग बात है लेकिन एक बात तो तय है के हमारी हठधर्मिता और अहंकार से हम हर रोज न जाने कितने लोगों को नुक्सान पहुचाते है ऐसा जाम आमतौर पर हर नगर,हर गली में देखने को मिल जाता है हम लोग हर जगह पर चक्का जाम लगा कर बैठ जाते है और हम यह भी नहीं सोचते है के हम हमारी इस हरकत से न जाने कितनी जिंदगियों को दाव पर लगा रहे है अगर कोई बीमार व्यक्ति जिसे अपनी जान बचाने के लिए जल्द से जल्द अस्पताल पहुचना है ,अगर वो उस जाम में फस जाए तो फिर उस स्थिति में उसकी मौत का जिम्मेदार कौन होगा ?हम,आप या फिर जाम लगाने वाले वो लोग या फिर यह व्यवस्था ?हमारे देश में आये दिन हड़ताल,बंद और चक्काजाम होता रहता है और हमारे देश के कुछ लोग मौकापरस्त नेताओ की बातो में आकर इस देश को और इस देश की जनता को कितनी हानी पहुचाते है यह हमे भी पता नहीं होगा ऐसा करके इस देश की गरीब जनता को हम और कितना गरीब कर देते है क्या यह हमने कभी सोचा है अगर किसी एक पार्टी के नेता ने दूसरी पार्टी के किसी नेता के खिलाफ कुछ बोला तो उस पार्टी के लोग सडको पर उतरकर जो तोड़फोड़ करते है उसकी तो कोई और मिसाल है ही नहीं यह कहाँ का लोकतंत्र है हम हमारे देश को ही नुक्सान पहुचाते है यह कहाँ की नैतिकता है इस आग में फिर जलता कौन है अमीर या गरीब ?यह सब जानते है हम लोग अपने स्वयम के हाथो से अपने लिए ऐसी साजिस और चक्रव्यूह की रचना कर दते है जिसमे से वापिस निकलना संभव नहीं हो पाता बाद में इन सबका श्रेय हम या तो सरकार को या फिर व्यवस्था को या फिर अपनी आदत के मुताबिक़ ऊपर वाले को दे देते है लेकिन हम अपने बारे में कभी टिपण्णी नहीं करते है के इन सबका वास्तविक जिम्मेदार कौन है ज़रा सोचिये………………..फिर देखिये
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जय हिंद
हेमंत कुमार शर्मा