*कोरोना से डरो मत लडो*
आप सभी को मेरा नमस्कार। यह लेख लिखते हुए न तो मेरे हाथ कांप रहे है और न ही दिल घबरा रहा है क्यूकि मरने से पहले मरना बुजदिली है । आज के समय मे हम सभी की यही स्थिति है। हम लोग लड़ने से पहले ही हार मान चुके है। मेरे इस लेख के साथ मै आप सभी को 2018 मे थाइलैंड की परिस्थिति पर लिखे गये लेख को भी भेजूंगा जिससे आप सबकी हौसला अफजाई मे मै थोडा सा प्रयास कर सकू और आपके आत्मबल मे भी वृद्धि हो सके । इस दुनिया मे जब वयकति जन्म लेता है तो जनम के साथ ही विधाता पूरी उम्र के लिए उस वयकति का स्वभाव, चरित्र ,गुण अवगुण सबकुछ लिख देता है। विधाता के लिखे हुए लेख को हमारे कर्मो और हमारे गुरू के आशीर्वाद के अलावा विधाता भी बदलने मे सक्षम नही है । इसलिए जिसकी जैसी नियति है वो उसी के अनुरूप व्यवहार करेगा और समाज मे भी उसी अनुसार उसको जाना जाएगा । जैसे अगर कोई वयकति सज्जन है तो वह जहा जाएगा जिससे भी मिलेगा वो उसको सदाचार के गुण ही सिखाएगा और जिस जगह ऐसा वयकति रहेगा वहा का माहौल भी खुशनुमा ही रहेगा । लेकिन अगर कोई वयकति निर्जन या पापी है तो वह वयकति दुनिया के किसी भी कोने मे चला जाए वह अपने इस गुण के अनुरूप सभी जगह पाप और दुष्कर्म ही करेगा चाहे वो देश मे हो या विदेश मे,इस लोक मे हो या परलोक मे । यहा मेरा तात्पर्य समाज के विभिन्न वर्गो के लोगो से है जो समाज मे अलग अलग तरीके से अपना रोल अदा कर रहे है । कुछ लोग ऐसे है जो येन केन प्रकारेण हमेशा सिर्फ और सिर्फ नकारात्मकता का ही प्रचार प्रसार करते है चाहे स्थिति कैसी भी हो । एक सीधी सी बात है अगर विधाता ने यह लिख दिया है कि इस दिन इतने समय के लिए तूफान आएगा तो हमको उस तूफान से अपना बचाव करना है न कि उससे लड़ने जाना है । अपना समय पूर्ण होने पर तूफान अपने आप चला जाएगा । उस स्थिति मे तूफान को जो तबाही करनी है वो करेगा ही लेकिन जो मजबूत है वो उससे जीत भी लेंगे। कोरोना की इस स्थिति मे कुछ लोग कालाबाजारी करने से भी नही चूकेगे क्यूकि ऐसे लोग उन गिदधो की तरह होते है जो शमशान की लाश को जलने के बाद भी नौचकर खाने मे परहेज नही करते । कैसी भी स्थिति हो उन्हे सिर्फ पैसा दिखता है जैसे कुछ लोग खाध पदार्थ और अन्य जरूरी सामानों की कालाबाजारी करते है और अभी कोरोना के इंजेक्शन की करते है और कुछ डाकटर जो ऐसे भयानक समय मे भी लोगो के शरीर से अंग निकालने मे पीछे नही हो रहे । ऐसे लोगो की किसी की आर्थिक,मानसिक या शारीरिक स्थिति की भी कोई परवाह नही है। सत्ता पक्ष और विपक्ष मे बैठे लोग जो एक लाख गिदधो के बराबर होते है एक दूसरे के कपडे उतारने मे भी नही चूकते । इसके उलट समाज मे ऐसे भी लोग है जो इस मुसीबत की परिस्थिति मे भी अपनी जान पर खेलकर अपने कर्तव्यो का निर्वहन कर रहे है । कुछ लोग समाज मे सोशल मीडिया और अन्य संसाधनो के जरिए समाज मे नकारात्मकता का विष घोल रहे है क्यूकि उन्हे इसी मे आनंद आता है। ताजा सरकारी आंकडो के अनुसार अभी तक करोडो लोग कोरोना की वैक्सीन ले चुके है और वैक्सीन लेने के बाद सिर्फ 0.05% लोग ही इस संक्रमण का शिकार हुए है । मतलब हमको इन आंकडो पर गर्व होना चाहिए । जो लोग इस दुनिया को अलविदा कह चुके है हम उन्हे वापस नही था सकते क्यूकि विधाता ने जिंदगी और मौत बांटने का विभाग अभी भी अपने पास ही रखा हुआ है। मेरे इस लेख का उद्देश्य सिर्फ यही है कि जो चला गया है हम उसको वापस नही था सकते लेकिन जो है उसे हमे बचाना है । कृपया अफवाह और नकारात्मक खबरों से अपने और अपने परिवार को दूर रखे । क्यूकि समाज और सरकार और अन्य संस्थाओं के लिए आप सिर्फ एक संखया हो लेकिन अपने परिवार के लिए आप पूरी दुनिया हो इसलिए किसी भी गलत कदम से अपने परिवार की दुनिया मत उजाडिए । अपना और अपने परिवार का खयाल रखिए । आप सुरक्षित है तो समाज भी सुरक्षित और देश भी सुरक्षित ।
बाकी अप सब समझदार है।
जय जय सियाराम ।
हेमन्त कुमार शर्मा ।